मौनी अमावस्या Mauni Amavasya 2025: तिथि, महत्व, महाकुंभ और पूजा विधि

मौनी अमावस्या Mauni Amavasya हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र तिथि मानी जाती है। यह दिन आत्मशुद्धि, ध्यान, तपस्या और दान-पुण्य के लिए विशेष होता है। इस दिन गंगा स्नान, मौन व्रत और पितृ तर्पण करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वर्ष 2025 का मौनी अमावस्या और भी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इस दिन महाकुंभ 2025 का प्रमुख स्नान भी होगा, जो प्रयागराज में आयोजित किया जाएगा। महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालु और साधु-संत गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करेंगे।

मौनी अमावस्या Mauni Amavasya 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • मौनी अमावस्या 2025 की तिथि: 29 जनवरी 2025, बुधवार
  • अमावस्या तिथि प्रारंभ: 28 जनवरी 2025, रात 10:43 बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त: 29 जनवरी 2025, रात 08:51 बजे

इस दौरान सूर्योदय से पहले स्नान, जप, तप और दान-पुण्य करने से विशेष लाभ मिलता है। महाकुंभ में स्नान का यह विशेष अवसर और भी अधिक पुण्यकारी माना जाएगा।

महाकुंभ 2025 और मौनी अमावस्या Mauni Amavasya का महत्व

महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 वर्षों में प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में क्रमशः आयोजित होता है। 2025 में यह आयोजन प्रयागराज में होगा।

महाकुंभ और मौनी अमावस्या Mauni Amavasya का विशेष संबंध

  • मौनी अमावस्या को महाकुंभ का सबसे महत्वपूर्ण स्नान पर्व माना जाता है।
  • इस दिन साधु-संत, नागा बाबा, अखाड़े और करोड़ों श्रद्धालु गंगा स्नान करते हैं।
  • यह अवसर विशेष रूप से कल्पवासियों के लिए महत्वपूर्ण होता है, जो प्रयागराज में एक माह तक तपस्या और साधना करते हैं।
  • मान्यता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

महाकुंभ 2025 का महत्व

Mauni Amavasya
  • इस बार महाकुंभ में 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम स्नान करेंगे।
  • देश-विदेश से विभिन्न संत-महात्मा, नागा साधु, अघोरी और अखाड़ों के महंत इस पावन अवसर पर शाही स्नान करेंगे।
  • इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आयोजन होंगे।

मौनी अमावस्या Mauni Amavasya पर करने योग्य कार्य

  1. गंगा स्नान और तीर्थ यात्रा – यदि संभव हो तो प्रयागराज के संगम में स्नान करें, अन्यथा घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  2. मौन व्रत धारण करें – मौन व्रत से मन शांत होता है और ध्यान शक्ति बढ़ती है।
  3. पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म करें – पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन तर्पण और श्राद्ध करें।
  4. दान-पुण्य करें – तिल, गुड़, आटा, कंबल, चावल, घी और दक्षिणा का दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
  5. भगवान विष्णु और शिव की पूजा करें – इस दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा विशेष फलदायी होती है।

मौनी अमावस्या Mauni Amavasya से जुड़ी पौराणिक कथा

इस दिन महर्षि मनु ने मौन रहकर ब्रह्म ज्ञान प्राप्त किया था। इसलिए इसे “मौनी अमावस्या” कहा जाता है।

एक अन्य कथा के अनुसार, राजा भरत ने इसी दिन गंगा स्नान कर मौन व्रत रखा था, जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।

निष्कर्ष

मौनी अमावस्या और महाकुंभ 2025 का संगम एक दिव्य अवसर है। इस दिन गंगा स्नान, मौन व्रत, दान और साधना करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। महाकुंभ का यह प्रमुख स्नान पापों के नाश और मोक्ष की प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। यदि संभव हो, तो प्रयागराज जाकर संगम स्नान करें और इस पावन पर्व का लाभ उठाएं।

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