राष्ट्रपति शासन: एक विस्तृत विश्लेषण

भारत में राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) एक संवैधानिक प्रावधान है, जो तब लागू किया जाता है जब किसी राज्य की सरकार संविधान के अनुरूप कार्य करने में असमर्थ हो जाती है। यह एक अस्थायी व्यवस्था होती है, जिसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत लागू किया जाता है।

मणिपुर में मई 2023 से जातीय हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का दौर जारी था, जिसमें 250 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी थी और हजारों लोग बेघर हो गए थे। इन परिस्थितियों के बीच, मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह पर इस्तीफे का दबाव बढ़ता गया और अंततः उन्होंने 9 फरवरी 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद, 13 फरवरी 2025 को केंद्र सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया।

इस लेख में हम राष्ट्रपति शासन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों को विस्तार से समझेंगे, जैसे— राष्ट्रपति शासन क्या है, इसे कब लागू किया जाता है, इसके प्रभाव, ऐतिहासिक उदाहरण, और मणिपुर में हाल ही में लागू किए गए राष्ट्रपति शासन की विस्तृत जानकारी।

राष्ट्रपति शासन Table of Contents

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राष्ट्रपति शासन क्या होता है?

राष्ट्रपति शासन का मतलब है कि किसी राज्य में चुनी हुई सरकार के स्थान पर केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष नियंत्रण हो। जब किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होता है, तो राज्य की सत्ता राज्यपाल (Governor) के माध्यम से केंद्र सरकार के अधीन आ जाती है, और विधानसभा भंग या निलंबित कर दी जाती है।

राष्ट्रपति शासन लगाने के कारण

संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति शासन लगाने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं—

1. संवैधानिक तंत्र की विफलता

यदि राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य नहीं कर पाती है, तो राष्ट्रपति अनुच्छेद 356 के तहत राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं।

2. राजनीतिक अस्थिरता

यदि किसी राज्य में चुनाव के बाद कोई भी दल सरकार बनाने में असफल रहता है, या गठबंधन सरकार गिर जाती है और कोई नया गठबंधन नहीं बन पाता, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।

3. कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति

यदि किसी राज्य में अराजकता, हिंसा, या दंगे जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है और राज्य सरकार इसे नियंत्रित करने में असमर्थ रहती है, तो केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन लागू कर सकती है।

4. भ्रष्टाचार या प्रशासनिक विफलता

यदि राज्य सरकार पर गंभीर भ्रष्टाचार या प्रशासनिक अक्षमता के आरोप लगते हैं और यह जनता की भलाई के लिए काम नहीं कर रही होती, तो केंद्र सरकार हस्तक्षेप कर सकती है।

5. अन्य असाधारण परिस्थितियाँ

अगर राज्य में प्राकृतिक आपदा, आतंकवाद या विद्रोह जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं और राज्य सरकार हालात संभालने में असफल रहती है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।

राष्ट्रपति शासन लगाने की प्रक्रिया

  1. संसद की मंजूरी – राष्ट्रपति शासन लगाने के दो महीने के भीतर संसद से इसकी मंजूरी लेनी होती है।
  2. राज्यपाल की रिपोर्ट – राज्यपाल राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजते हैं कि राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है।
  3. कैबिनेट की सिफारिश – केंद्र सरकार के मंत्रीमंडल की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति इसे मंजूरी देते हैं।
  4. राष्ट्रपति की अधिसूचना – राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत अधिसूचना जारी करके राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करते हैं।

राष्ट्रपति शासन की अवधि

  1. जब चुनाव आयोग यह प्रमाणित करे कि राज्य में चुनाव कराना संभव नहीं है।
  2. प्रारंभिक रूप से राष्ट्रपति शासन छह महीने के लिए लगाया जाता है।
  3. इसे अधिकतम तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन हर छह महीने में संसद की मंजूरी आवश्यक होती है।
  4. यदि राष्ट्रपति शासन एक साल से अधिक तक लागू रखना हो, तो यह केवल निम्नलिखित स्थितियों में संभव है—
  5. जब राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) लागू हो।

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन (2025)

मणिपुर में मई 2023 से जारी जातीय हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के कारण 9 फरवरी 2025 को मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद, 13 फरवरी 2025 को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया।

राष्ट्रपति शासन की घोषणा

मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद, राज्य में नई सरकार के गठन को लेकर अनिश्चितता बनी रही। केंद्र सरकार ने राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रपति शासन लागू करने का निर्णय लिया। गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के कारण यह कदम उठाया है।

वर्तमान स्थिति

राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद, मणिपुर की विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है, और राज्य का प्रशासन अब राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार के नियंत्रण में है। केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया है कि राज्य में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

भारत में राष्ट्रपति शासन के प्रमुख उदाहरण

भारत में कई बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया है। कुछ प्रमुख उदाहरण इस प्रकार हैं—

  1. पंजाब (1987-1992) – आतंकवाद के कारण पांच साल तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा।
  2. कर्नाटक (1971) – मुख्यमंत्री की बर्खास्तगी के बाद राष्ट्रपति शासन लगाया गया।
  3. उत्तर प्रदेश (1996) – सरकार गिरने के बाद राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।
  4. बिहार (2005) – विधानसभा में बहुमत न होने के कारण राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।
  5. महाराष्ट्र (2019) – विधानसभा चुनाव के बाद किसी भी दल को बहुमत न मिलने के कारण राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।

निष्कर्ष

राष्ट्रपति शासन एक अस्थायी उपाय है, जिसे केवल अत्यधिक आवश्यकता की स्थिति में लागू किया जाना चाहिए। यह एक संवैधानिक प्रावधान है, जिसका उद्देश्य राज्य में संवैधानिक व्यवस्था बनाए रखना है, न कि राज्य सरकारों को राजनीतिक कारणों से हटाना।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के बाद अनुच्छेद 356 के दुरुपयोग पर अंकुश लगाया गया है, फिर भी इसे लागू करने में संविधान की मंशा और लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन किया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति शासन FAQ

1. राष्ट्रपति शासन कितने समय तक लागू रह सकता है?

राष्ट्रपति शासन प्रारंभ में छह महीने के लिए लागू किया जाता है और इसे अधिकतम तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है।

2. राष्ट्रपति शासन कौन लागू कर सकता है?

भारत के राष्ट्रपति, केंद्र सरकार की सिफारिश और संसद की मंजूरी के बाद इसे लागू कर सकते हैं।

3. क्या राष्ट्रपति शासन के दौरान चुनाव हो सकते हैं?

हाँ, अगर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार निर्णय लेते हैं कि चुनाव कराए जा सकते हैं।

4. क्या राष्ट्रपति शासन को चुनौती दी जा सकती है?

हाँ, यदि यह अनुचित तरीके से लगाया गया हो, तो इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।

5. भारत में कितनी बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया है?

भारत में अब तक विभिन्न राज्यों में कुल 132 बार राष्ट्रपति शासन लागू किया गया है। हाल ही में, 13 फरवरी 2025 को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया, जो इस संख्या में शामिल है।

6. मणिपुर में राष्ट्रपति शासन क्यों लगाया गया?

मणिपुर में जातीय हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के कारण 13 फरवरी 2025 को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।

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